“झारखंड मुक्ति मोर्चा: 53 वर्षों का संघर्ष और सत्ता की यात्रा”
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झाममो) की स्थापना 4 फरवरी 1973 को हुई थी, जबकि इसके संस्थापकों ने 1960 के दशक में अलग-अलग सामाजिक संगठनों के माध्यम से काम करना शुरू किया था। झाममो की नींव रखने वाले तीन प्रमुख नेता थे ¹:
शिबू सोरेन: उन्होंने सोनोत संताल समाज के माध्यम से आदिवासी समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने और आदिवासियों की जमीन को महाजनों से मुक्त कराने के लिए काम किया।
बिनोद बिहारी महतो: उन्होंने कुड़मी समुदाय के उत्थान के लिए शिवाजी समाज नामक सामाजिक संगठन की स्थापना की।
एके राय: उन्होंने कोयला खनन क्षेत्र में मजुतरों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।
इन नेताओं ने महसूस किया कि एक संयुक्त मंच से उनकी ताकत बढ़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन हुआ। झाममो ने अपने शुरुआती वर्षों में औद्योगिक और खनन श्रमिकों को अपने साथ जोड़कर एक मजबूत आधार बनाया।
झाममो की प्रमुख उपलब्धियाँ:
झारखंड राज्य का गठन: झाममो ने झारखंड राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सरकारी अनुभव: झाममो ने झारखंड में कई बार सरकार बनाई है, जिसमें शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन जैसे नेता मुख्यमंत्री बने हैं।
राजनीतिक प्रभाव: झाममो का प्रभाव झारखंड और आसपास के क्षेत्रों में मजबूत है, और यह एक प्रमुख क्षेत्रीय राजनीतिक दल है।
आज, झाममो झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है, और इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और सामाजिक कार्य ने इसे एक मजबूत समर्थन आधार प्रदान किया है।