“चंपाई सोरेन ने आदिवासियों से अपनी पारंपरिक आस्था और संस्कृति को बचाने की अपील की”
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने चाकुलिया के दिशोम जाहेर गढ़ में माथा टेक कर आदिवासी अस्मिता और अस्तित्व की रक्षा के लिए संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि जो लोग अपनी पारंपरिक आस्था और प्रकृति पूजक संस्कृति को छोड़कर धर्मांतरण कर लेते हैं, उन्हें आदिवासी आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए।
चंपाई सोरेन ने कहा कि आदिवासी प्रकृति पूजक हैं और उनकी संस्कृति केवल पूजा-पद्धति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक समग्र जीवनशैली है। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण के बाद लोग पारंपरिक स्थलों और रीति-रिवाजों को भूल जाते हैं, जिससे आदिवासी अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है।
पूर्व सीएम ने समाज से अपील की कि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें और अपने अधिकारों व पहचान की रक्षा के लिए सजग रहें।