सरायकेला के दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की सच्चाई : दलमा सेंचुरी से गजराज का पलायन, ईचागढ़ में लिया आश्रय,
चांडिल: (रिपोर्ट सुधीर कुंभकार) सरायकेला चांडिल अनुमंडल क्षेत्र दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी पर्यटकों से गुलजार रहता है. पांच बर्ष से गजराज परियोजना के नाम से प्रसिद्ध वन्य प्राणी आश्रयणी में चर्चा का विषय बने रहते हैं.
दूर दराज से पर्यटक यहां घुमने आते हैं. लेकिन इस बार भ्रमण करने आये पर्यटकों में नाराजगी देखी गई. पश्चिम बंगाल, ओडिशा समेत दूसरे राज्यों से आये पर्यटकों को जंगल सफारी के दौरान गजराज का झूंड नहीं दिखा. इससे पर्यटकों में नाराजगी है।वन विभाग के पदाधिकारियों का दावा है कि यहां 2023 की जनगणना के दौरान यहां 72 गजराज थे. लेकिन जंगल में आग लगना, पेड़ की कटाई, जल श्रोतों के सुख जाने की वजह से हाथी पलायन कर गये हैं.
इस बात का संकेत मिलता है. उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड के कोने-कोने से गजराजों का झुंड यहां पहुंचता है. और पिर पलायन कर जाता है. आंधी तुफान और बेमौसम बरसात की वजह से जंगली हाथियों का झुंड दलमा सेंचुरी में नहीं ठहरते हैं।सरायकेला खरसावां जिला के चांडिल दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में प्रत्येक बर्ष जंगल में आग लगना, शिकार होना, पेड़ काटना और विभिन्न जलस्रोत सुख जाने के कारण यहां से गजराज पलायन करते हैं. चांडिल, नीमडीह, कुकडु, ईचागढ़ में कई जगहों पर गजराज का झुंड देखने को मिलेगा. दलमा सेंचुरी छोड़कर बारहो महीने हाथियों का झुंड इन प्रखंडों में डेरा डाले रहता है. जंगल छोटा होने की वजह से हाथियों का झुंड गांवों की ओर पलायन कर जाता है.
खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. घरों को क्षतिग्रस्त कर घरों में रखे अनाज को निवाला बनाते हैं. प्रतिदिन एक दूसरे गांव में तबाही मचाना हाथियों के झुंड का रोजमर्रा बन गया है. इससे लोग दहशत में हैं. आपको बता दें केन्द्र सरकार और राज्य सरकार प्रति वर्ष करोड़ों रुपये पर्यावरण विभाग को जंगल और जंगली जीव जंतु की संरक्षण के लिये देती है. विभाग की अनदेखी के कारण आज जंगल खतरे में हे, लोग राम भरोसे जिंदगी जी रहे हैं। पर्यटकों को गजराज का झुंडा देखने के लिये चांडिल डेम जलाश्य के गुंडा-लावा आना पड़ता है. यहां बेबी एलीफैंट भी देखने को मिल जाता है. जलशाय में गज का झुंड जल क्रीड़ा करते देखा जाता है. 20 मई की शाम दक्षिण पूर्वी रेलवे मुरी डिविजन के गुंडा बिहार रेलवे स्टेशन आसपास 18/20 की जंगली हाथी झुंड जिसमे दो बेबी हाथी रेलवे ट्रेक पार करते हुए देखा गया. कुछ दिन पूर्व रेलवे ट्रेक पार करने के दौरान एक ट्रास्कर हाथी की ट्रेन से काट कर मौत हो गई थी. कल भी बड़ी दुर्घटना होने से बाल बाल बच गया. हाथियों का झुंड भोजन की तलाश में भटकते हुए गांव पहुंच था. चांडिल वन क्षेत्र के कई जगहों पर हाथियों का झुंड डेरा डाले हुए है. दलमा गज परियोजना के सेंचुरी में अब गज पलायन कर रहे हैं. आज जंगल और जंगली जीव जंतु खतरे में हें.