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आज अगर हमारे निर्मल दा और सुनील दा जीवित होते तो हमे यह दिन नही देखना पड़ता। प्रबीर महतो कुड़मी सेना पोबिर महतो पद्रेश सचिव

जमशेदपुर :- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूर्व में भी कुड़मियों के एसटी मांग पर हमें ब्राह्मण बना दीजिए जैसी टिप्पणी की थी। जबकि इस बार तो उन्होंने अपमान की हद पार करते हुए कहा कि कुड़मी समाज के लोग आदिवासी बन कर क्या करेंगे जैसा वक्तव्य दिया. जबकि कुड़मी अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध होने के लिए सदियों से संघर्षरत है.

 

और साथ ही कल विश्व आदिवासी दिवस पर जिला परिषद ज्योति लाल मांझी ने तो कुड़मी समाज को वैश्या और नाचनी से तुलना कर दिया।

 

कोई कहता है कुड़मियों को बली देंगे।

 

कोई कुड़मी शहीदों का अपमान करता है।

 

कुड़मी समाज के लोगो से मेरा सवाल है कि आखिकार कब तक अपने कुड़मी समाज पर ऐसे अभद्र टिप्पणियों को बर्दाश्त करते रहेंगे?

आखिर कब तक ऐसे अपमानित होते रहेंगें कब तक?

 

आने वाले समय में कुड़मी समाज की जो दुर्दशा होगी उसके जिम्मेदार सिर्फ आप खुद होंगे।

 

जागो कुड़मी जागो।

अपनी चट्टानी एकता का परिचय दो।

समाज पर हो रहे अत्याचार और शोषण के खिलाफ लड़ो खुलकर विरोध करो।

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