शिक्षा और स्वास्थ्य का राष्ट्रीयकरण हो इसका निजीकरण बंद करें सरकार: अरशद खान
जामताड़ा: पूरे देश में एक समान शिक्षा और एक समान स्वास्थ्य सुविधा आम जनता को मिलना चाहिए। सरकार इस पर ध्यान दें। शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण बंद करें। केंद्र सरकार इसका राष्ट्रीयकरण कर पूरे देश में एक समान शिक्षा और स्वास्थ्य का नीति लागू करें। जिसमें निजी चिकित्सकों द्वारा जो मनमाना फीस वसूला जाता है, इलाज के लिए जो पैसे लिए जाते हैं उसका एक रूप रेखा तय कर उसे लागू करें। उक्त बातें राष्ट्रीय मानवाधिकार जस्टिस मूवमेंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव व पूर्व विधायक जौनपुर, उत्तर प्रदेश अरशद खान ने कही। राष्ट्रीय मानवाधिकार जस्टिस मूवमेंट के महासम्मेलन में सोमवार को शिरकत करने पूर्व विधायक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष अरशद खान जामताड़ा पहुंचे थे। पटोदिया धर्मशाला में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रीय अध्यक्ष अरशद खान, राष्ट्रीय सचिव हाफिज एहतेशामुल मिर्जा, प्रदेश अध्यक्ष सरवर आलम ने संयुक्त रूप से किया। मौके पर मुख्य अतिथि को सम्मानित किया गया। संबोधन के क्रम में राष्ट्रीय अध्यक्ष अरशद खान ने कहा कि हमारी लड़ाई समान शिक्षा, समान स्वास्थ्य सुविधा को लेकर जारी है। साथ ही लोगों को न्याय मिले इसके लिए केंद्र सरकार से मांग है कि वह इस पर पहल करें। न्याय प्रक्रिया को सरल बनाएं और चार कैटेगरी में वाद को वर्गीकृत करें। जिसमें 3 महीना, 6 महीना, 9 महीना और अधिकतम 1 वर्ष में पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलवाने का काम करें। क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया इतनी लंबी खिंच रही है कि समय पर लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि नया प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए प्रत्येक राज्य में सुप्रीम कोर्ट की बेंच बैठे और प्रत्येक प्रमंडल में हाई कोर्ट की एक बैंच स्थापित हो। ताकि गरीब लोगों को न्याय की सुविधा आसानी से मिल सके। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग किया है कॉलेजियम को समाप्त कर न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में पहल करें।
वहीं राष्ट्रीय सचिव हाफिज एहतेशामुल मिर्जा ने कहा कि आजादी के बाद से विकास तो देश का बहुत हुआ है लेकिन गरीब आज भी अपने जगह पर जस का तस है। सिर्फ उनका इस्तेमाल वोट बैंक के तौर पर किया जा रहा है। उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधारने की दिशा में पहल पर्याप्त नहीं है। प्रत्येक मानव का अधिकार है कि उसे भोजन कपड़ा और मौलिक सुविधा उपलब्ध हो। इस दिशा में सरकार की पहल न कही दिख रही है। हमारा वैसे ही लोगों को उनके मौलिक अधिकार मुहैया करवाने की दिशा में प्रयास जारी है। उन्होंने संगठन के कार्यकर्ताओं से अपील किया कि अपने-अपने क्षेत्र में इन चीजों पर ध्यान दें और जहां जिनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है उसको लेकर आवाज़ उठाएं और उसका अधिकार दिलाने में सहयोग करें।