तिरुलडीह गोलीकांड में शहीद हुए अजित धनंजय महतो की मनाई गई 42वीं पुण्यतिथि
ईचागढ़: सराइकेला जिला के तिरुलडीह स्थित शहीद बेदी एवं शहीद चौक में शहीद अजित धनंजय महतो की 42 वीं पुण्यतिथि मनाई गई। विधायक सविता महतो, जिप उपाध्यक्ष मधुश्री महतो,हरेलाल महतो,सुखराम हेंब्रम,खगेन महतो, कल्याण सिंह,गोपेश महतो, समेत कई राजनेता तथा समाजसेवी ने माल्यार्पण किया।
21 अक्टूबर 1982 तिरुलडीह गोलीकांड
शहीद अजीत महतो व धनंजय महतो का शहादत दिवस मनाया गया।आज से 42 वर्ष पहले 21 अक्टूबर 1982 का दिन। झारखंड आंदोलन के इतिहास का एक और महत्वपूर्ण दिन, इसी दिन तिरूलडीह में पुलिस ने छात्रों की भीड़ पर फायरिंग कर दी थी, इसमें सिंहभूम कॉलेज, चांडिल के दो छात्र अजीत महतो और धनंजय महतो शहीद हुए थे।42 साल बीत गए, इस दौरान झारखंड अलग राज्य बना। अब समय है कि झारखंड आंदोलन में मारे गए इन नायकों को राज्य के अन्य हिस्सों के लोग भी जाने। अभी हालात यह है कि इन नायकों की शहादत तिरुलडीह, ईचागढ, नीमडीह,चाडिल एवं जमशेदपुर तक ही सिमट कर रह गई है। समाज का एक बड़ा तबका (खासकर नयी पीढ़ी) इन शहादतों- गोलीकांड के बारे में जानती तक नहीं है। हां, एक पुल का नामकरण और एक स्कूल इन शहीदों के योगदान को जरूर बताता है। झारखंड आंदोलन के दौरान छात्रों ने अलग राज्य के साथ-साथ कुछ और मांगों के लिए भी संघर्ष किया था। उन दिनों पूरे इलाकों में सूखा पड़ा था।इसका असर छात्रों पर पड़ा था। कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही थी। इसके अलावा पश्चिम बंगाल सीमा पर पुलिस का जुल्म बढ़ गया था।बंगाल में केरोसिन सस्ता था सीमा के आसपास स्थित गांव के लोग बंगाल से सस्ता केरोसिन लाते थे। पुलिस ने ग्रामीणों को पकड़ना शुरू कर दिया था। पैसा लेंकर पुलिस छोड़ती थी। छात्रों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर आंदोलन चलाने का फैसला लिया था। इसके लिए क्रांतिकारी छात्र युवा मौर्चा नामक संगठन बनाया।छात्रों ने तय किया था कि 19,21 और 23 अक्टूबर 1982 को नीमडीह, ईंचागढ़(तिरुलडीह) और चाडिल में प्रखंड कार्यालय का घेराव किया जाएगा, जिसमें इन तीनों प्रखंड सुखाग्रस्त घोषित करने की मांग की गई जाएगी।छात्रों में जुनून था, सभी छात्र साइकिल से छः-सात दिनों से अभियान में निकल चुके थे। 19 को नीमडीह प्रखंड कार्यालय में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन हो गया था। 20 को आराम कर 21 को आंदोलन के दूसरे दिन तत्कालीन ईचागढ़ प्रखंड मुख्यालय तिरुलडीह में प्रदर्शनकारियों के द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा था। इसी बीच एक टीम हिकीम चंद्र महतो के नेतृत्व में अंचलाधिकारी को ज्ञापन देने के लिए अंदर गए थे। इसी बीच किसी बात को लेकर पुलिस और छात्रों के बीच विवाद हो गया। अंदर एक दल ज्ञापन दे रहा था और बाहर पुलिस ने फायरिंग कर दी।फायरिंग में अजीत महतो(कुरली गांव) और धनंजय महतो(आदरडीह गांव) मारे गए। इसके बाद पुलिस का जुल्म शुरू हुआ। 41 छात्रों-किसानों को 36 घंटे तक एक छोटे से कमरे में बंद रखा गया। न खाना दिया गया,न पानी, पुलिस फायरिंग के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गयी। दोनों छात्रों के शव को जमशेदपुर के एमजीएम में पोस्टमार्टम किया गया था। पुलिस का भय इतना था कि कोई भी इन छात्रों को लेकर इनके गांव नही जाना चाहता था। उन दिनों झारखंड आंदोलन का नेतृत्व कर रहे निर्मल महतो को जानकारी मिली कि पुलिस के भय से कोई वहां जाना नही चाहता। उन्होंने हिम्मत की और ट्रक से शव को लेकर जयदा(स्वर्णरेखा नदी तट पर) गये। धनंजय महतो की पत्नी बारी देवी मायके में थी। गोद मे उनका बेटा उपेन महतो था। उन्हें पता भी था कि उनके पति अब नही रहे। धनंजय महतो के परिवार को दो-तीन दिन बाद जानकारी मिली कि पुलिस की फायरिंग में धनंजय महतो की मौत हो गई। अपने पति का अंतिम दर्शन भी बारी देवी नही कर सकी थी। दाह संस्कार भी निर्मल महतो ने ही किया था। दूसरे मृतक अजीत महतो (अविवाहित) के परिवार के लोगो को उनके शहादत की जानकारी मिली थी। उन्होंने अजीत का दाह संस्कार खुद किया था। इस गोलीकांड में दोनों शहीद छात्रों की प्रतिमा लगी है। हर साल बड़ी सभा भी होती है। और लोग शहीद छात्रों को याद करते है। सच है कि झारखंड राज्य बना तो अजीत महतो,धनंजय महतो और उन जैसे हजारों लोगों के संघर्ष-शहादत की बदौलत ऐसे नायकों का सम्मान होना चाहिए।
विधानसभा में बात रखी हूं, मगर वेरिफिकेशन में हो रही है देरी – सविता महतो
ईचागढ़ विधानसभा की विधायक सविता महतो ने शहीद बेदी में माल्यार्पण किया एवं पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने विधानसभा पटल में शहीद अजित धनंजय महतो को शहीद का दर्जा तथा मिलनेवाली सुविधा देने का बात रखी हूं, कार्य अग्रसारित भी हो चुकी है, मगर वेरिफिकेशन में देरी होने के कारण अब तक नहीं हो पाया है।आशा करते है जल्द ही इसका निदान सरकार द्वारा हो जाएगा।
शहीदों के सपनों को पूरा करना हमारी प्राथमिकता : हरेलाल महतो
शहादत और संघर्ष ही हमारे झारखंड की पहचान है। झारखंड के शहीदों के सपनों को पूरा करना हमारी प्राथमिकता में है। उक्त बातें एनडीए समर्थित आजसू उम्मीदवार हरेलाल महतो ने कहा है। सोमवार को तिरुलडीह गोलीकांड के शहीद अजित – धनंजय महतो के शहादत दिवस पर तिरुलडीह शहीद बेदी, तिरुलडीह शहीद चौक में श्रद्धांजलि अर्पित कर शहीद अजित धनंजय महतो को नमन किया।
शहीदों का सम्मान जरूरी – सुखराम हेंब्रम
स्वच्छ चांडिल स्वस्थ चांडिल के संस्थापक सह समाजसेवी सुखराम हेंब्रम ने भी शहीद बेदी पर माल्यार्पण किया। सुखराम हेंब्रम ने कहा कि शहीदों का सम्मान करना हमारी परंपरा में है। आनेवाली पीढ़ी को उनके बलिदानों को स्मरण करके उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।