“आदिवासी अस्मिता को बचाने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका : रामदास सोरेन का बड़ा बयान”
मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज में जन्म से मृत्यु तक एक सुसज्जित सामाजिक व्यवस्था है, और शिक्षा से ही भाषा, संस्कृति और सामाजिक व्यवस्था को संरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड खनिज संपदा से परिपूर्ण राज्य है, और इसका हक और अधिकार यहां के आदिवासी मूलवासियों को मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की महिलाएं और पुरुष हाथों में हाथ पकड़ कर नृत्य करते हैं, जो हमारी सामाजिक एकता का परिचयक है। उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी समाज की भाषा और संस्कृति को बचाए रखने के लिए हमें एकजुट होना होगा।
इस अवसर पर, मंत्री रामदास सोरेन ने शिक्षा की चरमराई व्यवस्था के बारे में भी बात की, और कहा कि 12 साल से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शिक्षा की बुनियादी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पेसा कानून को लेकर सरकार गंभीर है, और ड्राफ्ट बनकर तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी समाज के लोगों को अपने अधिकारों के लिए जागरूक रहना होगा।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में कृष्णा बास्के, रामजीत हांसदा, विशु हेंब्रम, सुनाराम मुर्मू, सावना सोरेन, कांग्रेस नेता पप्पू राय उपस्थित थे। कार्यक्रम में संथाली समाज की महिलाओं द्वारा नाहा गाड़ी नाच का रंगारंग प्रदर्शन किया गया।
इस अवसर पर, मंत्री रामदास सोरेन ने गोविंदपुर में वीर डिबा किशुन की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस दौरान कृष्णा बास्के, रामजीत हांसदा, सुनाराम मुर्मू, विशु हेंब्रम, सुपाई जारिका, उदय बांकिरा, भक्तु मार्डी, रोही मुर्मू, रघु मार्डी, सुखलाल मुर्मू, सिबिल देवगम आदि उपस्थित थे।
