भीमख़ाँदा: महाभारत काल की धरोहर और आस्था का केंद्र

भीमख़ाँदा एक ऐसा स्थल है जो महाभारत काल की धरोहर को समेटे हुए है और धार्मिक आस्था का केंद्र है। यह स्थल राजनगर प्रखंड के बाना पंचायत में स्थित है।

यहाँ की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण लोग दूर-दूर से आते हैं। भीमख़ाँदा में महाभारत काल के कई ऐतिहासिक धरोहर हैं, जैसे कि भीम द्वारा बनाया गया चूल्हा, भीम का पैर का निशाना, अर्जुन द्वारा स्थापित शिव लिंग, और पांडव द्वारा लिखी गई लिपि।
लोग यहाँ पर पूजा करने आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने के लिए प्रार्थना करते हैं। सावन महीने में यहाँ मेला लगता है और सरायकेला जिला के अलावा पूर्वी और पश्चिम सिंहभूम के साथ-साथ पड़ोसी राज्य ओडिशा के मयूरभंज जिला से भी भक्त आते हैं।
प्रतिवर्ष मकर सक्रांति के आख्यान के दिन यहाँ टुसु मेला लगता है, जिसमें हज़ारों लोग जुटते हैं। यह मेला राजा की बेटी टुसु की याद में मनाया जाता है, जिसकी अकाल मृत्यु हो गई थी।
सरकार ने इस स्थल के सुंदरीकरण के लिए कुछ काम किया है। एक सेवा ट्रस्ट बनाया गया है जो सेवा और सहायता करता है, और यहाँ एक आवासीय विद्यालय भी है जो टाटा स्टील के देखरेख में चलता है।
भीमख़ाँदा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जो लोगों को आकर्षित करता है।
