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प्रधान कार्यालय में मनाया गया आजसू का 38वां स्थापना दिवस

युवाओं को समर्पित “बलिदान दिवस” के रूप में आजसू ने मनाया स्थापना दिवस

 

◆झारखंड आंदोलनकारियों को किया गया सम्मानित तथा कार्यकर्ताओं के बीच 125 पौधा का वितरण 

 

◆वीडियो चित्रण के माध्यम से युवाओं को बताया गया झारखंड आंदोलन का इतिहास 

 

◆ 1986 में निर्मल महतो ने आजसू की स्थापना की और 1987 में उनकी हत्या होना, आज भी बड़ा सवाल है : हरेलाल महतो 

 

चांडिल प्रखंड के चिलगु स्थित ईचागढ़ विधानसभा प्रधान कार्यालय में केंद्रीय महासचिव हरेलाल महतो के नेतृत्व में आजसू का 38वां स्थापना दिवस मनाया गया। इस बार राज्य के सभी विधानसभा में आजसू ने युवाओं को समर्पित करते हुए बलिदान दिवस के रूप में अपना स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर आजसू के संस्थापक शहीद निर्मल महतो के चित्र पर श्रद्धांजलि अर्पित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर शॉर्ट वीडियो क्लिप के चित्रण के माध्यम से युवाओं को झारखंड आंदोलन के इतिहास तथा आंदोलन में आजसू की भूमिका की जानकारी दी गई। मौके पर अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में ले चुके आंदोलनकारियों को सम्मानित किया गया। वहीं, कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के बीच 125 छायादार एवं फलदार पौधों का वितरण किया गया। इस मौके पर केंद्रीय महासचिव हरेलाल महतो, केंद्रीय सचिव अशोक साव उर्फ माझी साव, जिला कार्यकारी अध्यक्ष गुरुपद सोरेन, मनोरंजन ठाकुर, पुलक सथपति, रमापति महतो, भगीरथ दास, आजसू महिला महासभा जिला कार्यकारी अध्यक्ष अमला मुर्मू, प्रखंड अध्यक्ष दुर्योधन गोप, गोपेश महतो, अरुण महतो, रेणुका पुराण, रेखा प्रमाणिक आदि ने कार्यक्रम को संबोधित किया। 

 

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आजसू केंद्रीय महासचिव हरेलाल महतो ने कहा कि आज हम बलिदान दिवस के रूप में आजसू का स्थापना दिवस मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजसू का स्थापना शहीद निर्मल महतो ने किया था, जबकि उस समय झारखंड मुक्ति मोर्चा भी था। निर्मल महतो स्वयं झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता थे, लेकिन इसके बाद भी आजसू संगठन का स्थापना उन्होंने किया था। क्योंकि उस झामुमो के कुछ नेताओं ने आंदोलन को कांग्रेस सरकार के हाथों बेचने का काम किया था। तभी निर्मल महतो ने आजसू संगठन का स्थापना किया था। वर्तमान पीढ़ी के युवाओं को शायद पता नहीं है कि युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए ही निर्मल दा ने आजसू का संगठन गठन किया था। हरेलाल महतो ने कहा कि एक समय ऐसा आया था जब झारखंड आंदोलन सुस्त पड़ गया था तो आजसू के लाखों युवाओं ने सड़कों पर उतरकर आंदोलन को आगे बढ़ाने का काम किया था, तब जाकर अलग राज्य हासिल हुआ है। हरेलाल महतो ने कहा कि 1986 में झारखंड आंदोलन को गति देने और युवाओं को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से शहीद निर्मल महतो ने आजसू की स्थापना की, और एक साल बाद 1987 में उनकी हत्या होना, यह बहुत बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि निर्मल दा के हत्या के पीछे बहुत बड़ा साजिश और सवाल छिपा हुआ है, जिसे हमें जानने की जरूरत है। 

हरेलाल महतो ने कहा कि वे खुद अलग झारखंड आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता थे। उस समय यही कांग्रेस और राजद की सरकार हुआ करती थी। उस समय के तत्कालीन सरकारों ने झारखंड आंदोलनकारियों के ऊपर जो अत्याचार किया था उसे आजतक हमलोग भूल नहीं पाए हैं। हरेलाल महतो ने कहा आज देखिए जिस कांग्रेस और राजद ने हमारे लोगों के ऊपर केस किया था, जेल भेजवाने और पुलिसिया अत्याचार करवाने का काम किया था, आज उसी कांग्रेस और राजद की गोद में बैठकर झारखंड मुक्ति मोर्चा सरकार चला रही हैं। हरेलाल महतो ने कहा कि जिस समय हमलोग अलग झारखंड के लिए लड़ाई लड़ रहे थे, उस समय हमारे ऊपर भी केस दर्ज किया गया था। हमेशा पुलिस हमलोगों के ऊपर अत्याचार करती थी। दुर्भाग्य देखिए जिस कांग्रेस और राजद के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए हमारे हजारों क्रांतिकारी शहीद तब जाकर हमें अलग झारखंड मिला है। लेकिन आज भी वही कांग्रेस और राजद झारखंड में सरकार चला रही हैं। हरेलाल महतो ने कहा कि अलग राज्य को लेकर हमारा विजन स्पष्ट है। हमने केवल एक भूखंड नहीं मांगा था। बल्कि हमलोगों का शुरू से मुख्य उद्देश्य रहा है कि हमारे यहां के लोगों को अच्छी शिक्षा, भोजन, पानी, बिजली, चिकित्सा सुविधा मिले। सरकारी नौकरी हो या प्राइवेट नौकरी में हमारे लोगों को प्राथमिकता देनी होगी। आजसू पार्टी ने हमेशा से स्थानीय नीति, नियोजन नीति के लिए आंदोलन किया है। इस अवसर पर दामोदर गोप, सुलोचना प्रमाणिक, बुद्धेश्वर गोराई, बिजय मोदक, तुलसी महतो, आशुतोष महतो, भरत महतो, बिरेन महतो, सौभिक हालदार, आस्तिक दास, भगत सिंह मुंडा, मांगाराम महतो, दिलीप प्रमाणिक, दिलीप दास आदि मौजूद थे।

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