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चांडिल-तिरुलडीह-मुरी रेलखंड में वर्ष 2009 के बाद नहीं मिला कोई नई लोकल ट्रेन, क्या वोट देकर ठगे जा रहे हैं ईचागढ़ वासी?

 

 

ईचागढ़: चांडिल-तिरुलडीह-मुरी रेलखंड के सरायकेला-खरसावां जिले और आसपास के क्षेत्रों के लिए विकास की रीढ़ माना जाता है, लेकिन वर्ष 2009 के बाद इस रूट पर एक भी नई लोकल ट्रेन न शुरू होने से ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के निवासी गहरी नाराजगी और निराशा व्यक्त कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस रेलखंड पर लोकल ट्रेनों की कमी के कारण दैनिक यात्री, छात्र, किसान, और छोटे व्यापारी भारी असुविधाओं का सामना कर रहे हैं। ईचागढ़ विधानसभा के इस क्षेत्र में बसने वाले लोगों का यह भी आरोप है कि बार-बार वोट देकर चुनने के बावजूद उनकी मूलभूत जरूरतों को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

 

सीमित ट्रेनें, बढ़ती परेशानियां

 

वर्तमान में चांडिल-तिरुलडीह-मुरी रेलखंड पर केवल दो लोकल ट्रेनें—टाटा-बरकाखाना मेमू पैसेंजर और टाटा-हटिया मेमू पैसेंजर—सुबह और शाम के समय उपलब्ध हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, टाटा-बरकाखाना मेमू पैसेंजर आजादी के समय से चल रही है, जबकि टाटा-हटिया मेमू पैसेंजर वर्ष 2009 में तत्कालीन रांची सांसद सुबोध कांत सहाय के कार्यकाल में शुरू हुई थी। इसके अलावा, मध्य रात्रि में हटिया-हावड़ा क्रिया योगा एक्सप्रेस चलती है, जिसका ठहराव केवल तिरुलडीह और चांडिल स्टेशनों पर है। दिन के समय इस रूट पर कोई ट्रेन उपलब्ध नहीं होने से यात्रियों, खासकर छात्रों और छोटे व्यापारियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

 

स्थानीय लोगों की मांग और नाराजगी

  

ईचागढ़ के निवासियों ने रांची से दो बार निर्वाचित सांसद और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ से इस रूट पर नई लोकल ट्रेन शुरू करने की कई बार गुहार लगाई है। स्थानीय लोगों का कहना हैं कि “हम रोजमर्रा की यात्रा के लिए लोकल ट्रेनों पर निर्भर हैं। 2009 के बाद इस रूट पर कोई नई ट्रेन नहीं शुरू हुई। हमारी समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा है। क्या हम सिर्फ वोट बैंक बनकर रह गए हैं? क्या वोट देकर हम ठगे जा रहे हैं?”

क्षेत्र के अन्य निवासियों ने भी रेल मंत्रालय और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से इस रूट पर नई लोकल ट्रेन शुरू करने की मांग की है। उनका कहना है कि इस रेलखंड पर बेहतर रेल कनेक्टिविटी न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देगी, बल्कि शिक्षा, रोजगार और व्यापार के अवसरों को भी बढ़ाएगी। विशेष रूप से, ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को स्कूल-कॉलेज और कोचिंग सेंटर तक पहुंचने में होने वाली परेशानियों का जिक्र करते हुए स्थानीय लोग दिन के समय अतिरिक्त ट्रेनों की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।

 

रेल मंत्रालय का रुख

 

रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार चांडिल-तिरुलडीह-मुरी रेलखंड पर रेल सेवाओं का विस्तार भारतीय रेलवे की प्राथमिकताओं में शामिल है, लेकिन इस रूट पर नई लोकल ट्रेन शुरू करने के संबंध में अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि इस मुद्दे को बार-बार उठा रहे हैं, और उम्मीद जताई जा रही है कि उनकी मांगों पर जल्द विचार किया जाएगा।

 

क्षेत्रीय विकास पर असर

 

ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के निवासियों का मानना है कि रेल कनेक्टिविटी में सुधार से न केवल उनकी दैनिक यात्रा आसान होगी, बल्कि स्थानीय बाजारों, छोटे उद्योगों और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। तिरुलडीह, लेटेमदा, हेसालौंग, झिमड़ी, गुंडा बिहार और अन्य छोटे स्टेशनों पर ट्रेनों के ठहराव की कमी के कारण स्थानीय व्यापारी और किसान अपने उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचाने में कठिनाई महसूस करते हैं। यह मुद्दा क्षेत्र में गर्म चर्चा का विषय बना हुआ है। स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए जनप्रतिनिधियों और रेल मंत्रालय पर दबाव बना रहे हैं। ईचागढ़ वासियों की यह मांग अब एक बड़ा सवाल बन चुकी है—क्या उनकी आवाज सुनी जाएगी, या वे वोट देकर ठगे जाने की भावना के साथ जीते रहेंगे?

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