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दोमुहानी नदी घाट पर प्राचीन वर्षो से हो रहा टुसू परब,उसी दिन गंगा आरती के आयोजन से झारखंडी संस्कृति का अस्तित्व खतरे में : पोबीर महतो कुड़मी सेना

 

 

जमशेदपुर के दोमुहानी में टुसू परब के अवसर पर एक विवादित बयान आया है। इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन गंगा आरती का आयोजन किया गया, जिसे झारखंडी संस्कृति के लिए खतरा बताया जा रहा है।

 

कुड़मी सेना के नेता पाबिर महतो ने कहा कि यह गंगा आरती का आयोजन झारखंडी संस्कृति को कमजोर करने का एक साजिश है। उन्होंने कहा कि टुसु परब एक झारखण्ड का एक अहम परब है जिसे सभी आदिवासी कुड़मी लोग बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते है और दोमुहानी नदी घाट में मकर दुब के साथ नए वर्ष का शुरुआत करती है और शाम को टुसु मेला का आयोजन किया जाता है जिसमे झारखण्ड संस्कृति के साथ झारखंडी एकता का झलक दिखती है और ऐसे में साल के 365 दिनों में से मकर परब के दिन ही गंगा आरती करने का क्या मतलब है?

 

गंगा आरती से हमे कोई आपति नही है ना कभी होगी हम सम्मान करते है परंतु हमारे संस्कृति को अपनाम ना करें। गंगा आरती टुसु परब के एक दिन पहले करें या एक दिन बाद करें।

 

अगर एक ही दिन में करते है तो इससे यही पता चलता है की आयोजकों को झारखंड संस्कृति को पसंद नहीं करते। ऐसा में झारखंडी महापर्व का अस्तित्व खतरे में है इसे मिटाने की कोशिश की जा रही है।

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