खूंटी में हम किसान पेट पोसने के लिए करते हैं खेती, समृद्धि के लिए वैज्ञानिक तरिके से करनी होगी खेती: कालीचरण मुंडा
सांसद कालीचरण मुंडा के आवासीय परिसर स्थित सभागार में काला नमक धान की खेती का प्रशिक्षण दिया गया। किसानों के बीच बीज का भी वितरण किया गया। जिले के सभी छह प्रखंडों के 200 महिला-पुरूष किसानों इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। झारखंड प्रदेश किसान कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष सुभाष कुमार के द्वारा प्रशिक्षण और बीज वितरण की व्यवसथा की गई। प्रशिक्षण में शामिल सभी किसानों के बीच सांसद कालीचरण मुंडा ने एक-एक किलोग्राम काला नमक धान के बीज का वितरण किया। कृषि वैज्ञानिक डॉ पंकज ने किसानों को प्रशिक्षण दिया। इस कार्यक्रम में कांग्रेस नेता शशिभुषण राय, कांग्रेस सहकारिता प्रकोष्ट के प्रदेश महासचिव मो नईमुद्दीन खां, जिलाध्यक्ष रवि मिश्रा, सरायकेला जिला के अध्यक्ष सह सांसद प्रतिनिधि छोटराय किस्कु और आत्मा, खूंटी के उपपरियोजना निदेशक अमरेश कुमार मुख्य रूप से शामिल हुए।

किसानों को संबोधित करते हुए सांसद कालीचरण मुंडा ने कहा कि खूंटी के 90 प्रतिशत लोग खेती पर आश्रित हैं। ये पेट पोसने के लिए खेती करते हैं। किसानों को अपने जीवन में समृद्धि लाने के लिए वैज्ञानिक तरिके से खेती करनी होगी। उन्होंने कहा कि मैं खूंटी के किसानों की समृद्धि देखना चाहता हूं। इस कारण है कांग्रेस के किसान सेल से अनुरोध कर यहां काला नमक धान की खेती कराने की शुरूआत किया हूं।
सांसद ने कहा कि हम बेवजह बेरोजगारी का रोना रोते हैं। हमारे झारखंड में जमीन तो जमीन आसमान पर भी पैसे हैं। ऐसा हर प्रदेश में नहीं है। इसके बावजुद सही जानकारी नहीं होने के कारण यहां के युवक-युवती दिल्ली, मुम्बई और पंजाब रोजगार करने चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि यहां के युवाओं को रोजगार मिले।
खूंटी में कृषि उत्पादों की मंडी ना होने पर जताई चिंता
सांसद ने कहा कि पड़ोसी जिले रांची के मांडर, बेड़ो और चान्हो में सब्जी मंडी है, लेकिन जिला मुख्यालय होने के बावजूद यहां मंडी का अभाव है। सांसद ने कहा कि इन प्रखंडों से प्रतिदिन दर्जनों गाड़ियों पर सब्जी लादकर गाड़ियां चाईबासा जातीं हें। कारण कि इन प्रखंडों में सब्जी का उत्पादन ज्यादा है और खूंटी इस मामले में पिछड़ा हुआ है।
झारखंड किसान कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष सुभाष कुमार ने कहा कि झारखंड की मुख्य खेती धान है। आज हम जलवायू परिवर्तन की मार झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा उत्पादन कम होगा। नई बीमारियां जन्म लेंगीं। अब हम पारंपरिक ढ़ंग से खेती करेंगे, तो नुकसान ही उठाना होगा। इस कारण हमें हर हाल में वैज्ञानिक तरिका अपनाना ही होगा। उन्होंने कहा कि हम लोग ऐसे बीज का उत्पादन करने में जुटे हैं, जो जलवायू परिवर्तन से लड़ सके, तापमान को सह सके।
तेजी से बढ़ रहा है गाजर घास
सुभाष कुमार ने कहा कि झारखंड में तेजी से जहरीला गाजर घास बढ़ रहा है। एक पौधा नए साढ़े तीन हजार पौधों को जन्म दे रहा है। झारखंड में 35 मिलियन हेक्टेयर में गाजर घास फैल चुका है। जबकि यहां 42 मिलियन हेक्टेयर में धान और 29 मिलियन हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है।
काला नमक चावल जिसे खाकर गौतम बुद्ध ने अपना उपवास तोड़ा था
जिस काला नमक चावल से बनी खीर खाकर गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना उपवास तोड़ा था, वही काला नमक चावल की खेती खूंटी में शुरू होने जा रही है। इसके लिए सांसद कालीचरण मुंडा ने 200 किसानों के बीच एक-एक किलो बीज बांटा है। वैज्ञानिक डॉ पंकज ने काला नमक धान का महत्व किसानों को बताया। उन्होंने कहा कि यह सुगर फ्री है। इसमें कार्बोहाईड्रेड, जिंक और प्रोटिन होता है, जिसे सुगर मरीज खा सकते हैं। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। इस कारण विश्व भर में काला नमक चावल की मांग काफी बढ़ गई है। एरोमा होने के कारण यह सुगंधित होता है।
खेतों में सिर्फ नमी भी रहे तो इसकी खेती हो सकती है। इसकी खेती दो और तीन नम्बर खेतों में होती है। 120 दिनों में धान तैयार हो जाता है। इंडिया के बाजार में इसके चावल की न्यूनतम कीतम 300 रुपए प्रति किलो है। दुबई में यह दोगुना हो जाता है। एक एकड़ में 12 से 15 किलो बीज लगता है और 22 क्वींटल धान का उत्पादन होता है, जिसकी कुल कीत सवा दो लाख के आसपास होती है। इसके अलावा अन्य जानकारियां डॉ पंकज ने किसानों को दी। किसानों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की सराहना की और सांसद से अनुरोध किया कि रबी की खेती से पहले भी एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाए।
कार्यक्रम को कांग्रेस नेता शशिभुषण राय, कांग्रेस सहकारिता प्रकोष्ट के प्रदेश महासचिव मो नईमुद्दीन खां, जिलाध्यक्ष रवि मिश्रा, सरायकेला जिला के अध्यक्ष सह सांसद प्रतिनिधि छोटराय किस्कु और आत्मा, खूंटी के उपपरियोजना निदेशक अमरेश कुमार ने भी संबांधित किया।