राजनगर में कुड़मी समुदाय ने धूमधाम से मनाया देश करम महोत्सव
करमा पर्व झारखंडी संस्कृति की पहचान : विद्युत
सांस्कृतिक कार्यक्रम झूमर संगीत का आनंद उठाया लुत्फ़, कुड़मीयों ने दिया एकता का परिचय
कार्यक्रम में जातीय जनगणना, कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की उठी मांग
करमा पर्व हमारे पूर्वजों का दिया हुआ सांस्कृतिक धरोहर है। यह त्योहार झारखंडी संस्कृति की पहचान है। इसे बचाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। रविवार को राजनगर के ब्लॉक मैदान में आयोजित देश करमा महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो ने ये बातें लोगों को संबोधित करते हुए कही। सांसद ने कहा झारखंड के समस्त आदिवासी करमा त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाते हैं। करम राजा हमें धन-संपत्ति एवं सुख शांति प्रदान करती है। करम राजा का हम पर सदैव कृपा रहती है। कहा कि आज झारखंड की जनजातियों के समक्ष अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने की चुनौती है। इस तरह के आयोजन से हम अपने विलुप्त होती संस्कृति को बचा सकते हैं और आने वाले पीढ़ी के लिए इन्हें सुरक्षित रख सकते हैं। कहा की आज कुडमी समाज बिखरे पड़े हुए हैं। जिससे हम अपने अधिकारों से वंचित है। हमें इसी तरह की एकजुटता अपने समाज के उत्थान के लिए दिखाना होगा। अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर आगे बढ़ाना होगा। जिससे हमारा समाज आगे बढ़े। कार्यक्रम को समाजसेवी हरमोहन महतो, पद्मश्री छुटनी महतो, लालटू महतो, कृष्णा बास्के सहित अन्य अतिथियों ने सम्बोधित किया। सभी ने सामाजिक उत्थान के लिए एकजुट रहने की अपील की। लोगों से नशा से दूर रहकर समाज को आगे बढ़ाने में अपने भागीदारी निभाने की अपील की गई। देश करम महोत्सव के बहाने कुड़मी समुदाय ने अपनी एकता का परिचय दिया।
वहीं कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 10 बजे उपवास में चुका पहाड़ से श्रद्धापूर्वक करमा डाली को ब्लॉक मैदान स्थित आयोजन स्थल पर लाया गया। इस दौरान मांदर की थाप पर पूरे समुदाय के लोगों ने नाच गान करते हुए करम गोसाईं को अखाड़ा के बीच में गाड़ा। प्राकृतिक उपासना का मुख्य पर्व करमा महोत्सव में प्रखंड क्षेत्र के कोने कोने से लोग जुटे थे। कार्यक्रम में रंजीत महतो एवं पार्टी के द्वारा रंगारंग झूमर संगीत प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में संघ के अध्यक्ष सुधांशु महतो, उपाध्यक्ष बैद्यनाथ महतो, सचिव साहेबराम महतो, कोषाध्यक्ष घनश्याम महतो, कमलेश्वर महतो, उदित महतो, निरंजन महतो, गुरुचरण महतो, सुधीर महतो, दिलीप महतो, दिनेश महतो, दीनबंधु महतो, नीलकमल महतो, लक्ष्मी नारायण महतो, रवि महतो, मुकुट धारी महतो, नरेंद्र महतो, डाकेश्वर महतो, रंजीत महतो, सहदेव महतो, , जगदीश महतो, रंजीत महतो सहित संघ के समस्त सदस्यों का योगदान रहा।