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सरायकेला के लिए ऐतिहासिक दिन: अक्षय तृतीया पर शुरू होगा प्रभु जगन्नाथ का रथ निर्माण कार्य

सरायकेला में एक ऐतिहासिक दिन की शुरुआत होने जा रही है। कल यानी 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर महाप्रभु जगन्नाथ के रथ निर्माण कार्य का शुभारंभ होगा। पूर्व मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक चंपई सोरेन के पूर्ण सहयोग और जगन्नाथ सेवा समिति के प्रयास से सरायकेला वासी एक स्वर्णिम इतिहास का साक्षी बनने जा रहे हैं।

 

नया रथ निर्माण:

 

पुराना रथ कब बना था, इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन संभवतः 100 साल पहले इसका निर्माण हुआ था। नया रथ बनाने के लिए जगन्नाथ समिति प्रयासरत थी, लेकिन धन की कमी के वजह से यह नहीं हो पा रहा था। पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने पिछले साल नवीन रथ निर्माण में सहयोग करने की बात कही थी और इस साल नए रथ का निर्माण होने जा रहा है।

 

कार्यक्रम में शामिल होंगे पूर्व मुख्यमंत्री:

 

श्री चंपई सोरेन कल इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। उनके प्रतिनिधि सनद आचार्य ने बताया कि नए रथ के निर्माण से सरायकेला के लोगों की धार्मिक भावनाएं और भी मजबूत होंगी। सरायकेला नगरी कला नगरी है यह नगरी की पहचान कला संस्कृति और सेकड़ो वर्ष पुराना जगन्नाथ मंदिर से है। 

 

जगन्नाथ समिति की भूमिका:

 

जगन्नाथ समिति ने इस आयोजन के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। समिति के सदस्यों ने बताया कि रथ निर्माण कार्य में विश्वकर्मा समिति कोणार्क से कुशल कारीगर आए है जो कल से लेकर 40 दिन के भीतर 21 फीट 5 इंच और पतका को मिलाकर कुल 25 फीट का भव्य रथ निर्माण करेंगे। ये रथ पूरी मंदिर के सुभद्रा माता के रथ के स्वरूप के अनुसार बनाई जाएगी। रथ में कुल 8 पहिए होंगे। 

 

स्थानीय लोगों की उत्सुकता:

 

स्थानीय लोगों में इस आयोजन को लेकर काफी उत्सुकता है। लोगों का मानना है कि नए रथ के निर्माण से उनकी धार्मिक भावनाएं और भी मजबूत होंगी और यह आयोजन सरायकेला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पल होगा। रथ निर्माण देखना एक सौभाग्य का बात है लाखों की संख्या में लोग देश विदेश से पूरी रथ निर्माण को देखने जाते है। इस रथ के निर्माण होने से सरायकेला नगरी की पहचान बढ़ेगी। स्थान्य लोगों ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को इस पावन कार्य में सहयोग करने के लिए धन्यवाद दिया एवं उनके मंगल जीवन की कामना की। 

 

सरायकेला के लिए ऐतिहासिक पल:

 

अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर होने जा रहे इस आयोजन से सरायकेला के लोगों को काफी उम्मीदें हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को भी प्रदर्शित करेगा।

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