टुसू परब के अवसर पर काजल महतो ने दी टुसू को भावपूर्ण विदाई, कहा- टुसू हमारी संस्कृति की धरोहर है।
बोकारो:- टुसू परब के अवसर पर काजल महतो ने टुसू को विदाई देते हुए कहा, “हम सब किसान धान काटते, खेती करते बहुत थक गए थे, लेकिन टुसू के आगमन से हमारी थकान दूर हो गई।”
काजल महतो ने आगे कहा, “टुसू एक महीने तक हमारे साथ रही और हमने दादी, काकी, जेठी, दीदी, बहन के साथ मिलकर गीत गाए। इससे हमारी संस्कृति और परंपरा का आदान-प्रदान हुआ।”
उन्होंने कहा, “दादी और काकी से हमें गीत के साथ-साथ और भी बहुत कुछ सीखने को मिला। सच में टुसू परब हमारी संस्कृति और परंपरा के लिए एक धरोहर है।”
काजल महतो ने टुसू को विदाई देते हुए कहा, “जोहार टुसू मनी, आगू बोछोर घूरी आवबे।”