टुसू पर्व: झारखंड के कुड़मी और आदिवासी समुदाय का महत्वपूर्ण पर्व, काजल महतो ने बताया इसका महत्व
बोकारो: टुसू पर्व को लेकर बोकारो के काजल महतो ने बताया कि यह पर्व झारखंड के कुड़मी और आदिवासी समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह पर्व पौष महीने में मनाया जाता है और लगभग एक महीने तक चलता है।
काजल महतो ने बताया कि टुसू पर्व का शाब्दिक अर्थ धान है, जिसे कुड़माली में डीनी कहा जाता है। यह पर्व झारखंड के विभिन्न जिलों में मनाया जाता है, जिनमें रांची, खूंटी, सरायकेला-खरसावां, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, रामगढ़, बोकारो, धनबाद शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि टुसू पर्व के दौरान कुंवारी कन्याएं टुसू की पूजा करती हैं और गांव की कुंवारी कन्याएं टुसू धान की थापना करके पूजा करती हैं। इस पर्व को तीन नामों से जाना जाता है – टुसु परब, मकर परब और पूस परब।
काजल महतो ने बताया कि टुसू पर्व का महत्व कृषि कार्य समापन और कृषि कार्य प्रारंभ के साथ-साथ नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व कुड़मी और आदिवासी जनजातीय समुदायों, किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है।