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134 Year old Dumka Hijla Festival- लोक संस्कृति का अनोखा हिजला मेला शुरू

रिपोर्ट- Dashrath Pradhan(CE)
Dumka- यदि आप लोक संस्कृति, लोक संगीत नृत्य के लय में डुबाना चाहते हैं,प्रकृति से जुड़े संगीत को महसूस करना चाहते हैं लोकमंगल समरसता में डुबाना चाहते हैं तो एक बार आपको दुमका के मयूराक्षी नदी के तट पर आयोजित हिजला मेला महोत्सव में जरूर शिरकत करनी चाहिए।

परंपरा को कायम रखते हुए हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी शुक्रवार से एक सप्ताह तक चलने वाली हिजला मेला का शुभारंभ किया गया। शुभारंभ ग्राम प्रधान सुनीलाल हसदा के द्वारा फीता काटकर किया गया। महोत्सव की शुरुआत से पूर्व हिजला मेला परिसर में स्थित माझी थान में विधिवत पूजा अर्चना की गई। मेला के उद्घाटन सत्र में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया जिसमें खासकर छऊ नृत्य और नटवा नृत्य पेश किया गया।

ब्रिटिश सरकार के दौरान शुरू हुआ था मेला

बात करें मेला का इतिहास की तो 1890 में ब्रिटिश डेप्युटी कमिश्नर आर कैस्टियर्स ने हिजला मेला की शुरुआत की थी। तब संथाल परगना एक जिला हुआ करता था और दुमका इसका मुख्यालय था। दरअसल 1855 में हुई संथाल हुल विद्रोह के बाद कैस्टियर्स ने संथालों से अपनी दूरी मिटाने तथा उनके विश्वास हासिल करने के मकसद से इस जनजातीय मेले की शुरुआत की थी।

समय के साथ मेला ले चुका महत्सव का रूप

क्षेत्र के लिए सबसे बड़ा मेला सबसे पुराना भी है। दुमका में शहर से चार किलोमीटर की दूरी पर मयूराक्षी नदी के तट पर हिजला पहाड़ के पास यह साप्ताहिक मेला लगता है। अब यह मेला महोत्सव का रूप ले चुका है।

यह मेला जनजातीय समाज के सांस्कृतिक संकुल की तरह है जिसमें शिंगा-सकवा, माँदर व मादन भेरी जैसे परंपरागत वाद्य यंत्र की गूंज तो सुनने को मिलता ही है, इसके अलावा अन्य प्रांतों के कलाकार भी अपने कलाओं का प्रदर्शन करने पहुंचते हैं।

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