Who is Lady Tarzan of Jharkhand?-कौन है झारखंड की लेडी टारजन जिनको पद्म श्री सम्मान से नवाज़ा जाएगा? जाने इस पोस्ट में
झारखंड कि लेडी टारजन के नाम से विख्यात चामी मुर्मू को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। भारत सरकार की ओर से इसकी घोषणा कर दी गई है। 52 साल की चामी मुर्मू को देश भर में ‘सरायकेला की सहयोगी’ के नाम से भी जाना जाता है।
सरायकेला-खरसावां जिले की रहने वाली आदिवासी महिला चामी मुर्मू ने पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है,पर्यावरण संरक्षण के लिए 3,000 महिलाओं के साथ मिलकर चामी ने 30 लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं। उनके इस योगदान के लिए समाज सेवा के क्षेत्र में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार देने की घोषणा सरकार की ओर से की गई।
30 हजार महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में चामी मुर्मू ने लाया सुधार
सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड की रहने वाली चामी मुर्मू को टार्जन दी के नाम से लोग पुकारते हैं। 40 से अधिक गांवों के 30 हजार से अधिक महिलाओं को उन्होंने स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जोड़ा है। एसएचजी से जुड़ने के बाद इन महिलाओं के जीवन में सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, महिलाएं सशक्त हुईं है।
निडर्र होकर चामी दी लकड़ी माफिया और नक्सली गतिविधियों के खिलाफ खूब लड़ीं
इतना ही नहीं, चामी मुर्मू एक ‘सहयोगी महिला’ नामक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) चलाती है जिसके जरिए व कई सामाजिक काम किए है, और करते आ रहे है। उन्होंने ख़ास तौर पर सुरक्षित मातृत्व पर जोर दिया। एनीमिया और कुपोषण के अलावा किशोरी शिक्षा की दिशा में भी काम किया। चामी मुर्मू ने वन की अवैध कटाई के खिलाफ जंग छेड़ी, उन्होंने लकड़ी माफिया और नक्सली गतिविधियों के खिलाफ भी पूरे समर्पण के साथ अभियान चलाया। जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए उनके कार्यों की वजह से ही उन्हें लेडी टार्जन का दर्जा दिया गया है।
बता दें कि चामी दी को 2020 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है, साथ ही प्रभात खबर ने वर्ष 2017 में चामी मुर्मू को ‘अपराजिता सम्मान’ से सम्मानित किया था।