अपनी भाषा संस्कृति व जल जंगल जमीन को बचाने के लिए एकजुट हों : संयुक्त ग्रामसभा
राजनगर के ईचापीड़ क्षेत्र के भालूपानी फूटबॉल मैदान में शुक्रवार संयुक्त ग्रामसभा एकता की ओर से विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर विभिन्न गावों के मुंडा, माझी बाबा, ग्रामप्रधान, परगना शामिल हुए। मौक़े पर संयुक्त ग्रामसभा के संयोजक उदय बांकिरा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने आदिवासियों के लिए एक दिवस घोषित किया है, जिसे हम आदिवासी दिवस के रूप में मनाते हैं।
यह दिन समस्त विश्व के आदिवासियों के लिए गौरव का दिन है। आज आदिवासियों के समक्ष अस्तित्व का संकट है। आदिवासियों को हर जगह डैम, काल – कारखाना, सड़क आदि विकास योजनाओं के नाम पर विस्थापित किया जा रहा है।
जंगलों से बेदखल किया जा रहा है। ज़ब तक आदिवासी एकजुट व संगठित नहीं होंगे। अपनी, भाषा, संस्कृति, जल जंगल, जमीन नहीं बचा पाएंगे। हमारी पहचान हमारी, भाषा, संस्कृति, जल जंगल, जमीन से है। आदिवासी प्राकृतिक पूजक हैं और इस देश के मालिक हैं। जे जमीन हमारी पूर्वजों की देन है। वहीं कृष्णा बानरा ने कहा कि हमें सबसे पहले अपनी मातृभाषा को आगे रखना है। यदि मातृभाषा भूलते हैं तो हम अपना अस्तित्व खो देंगे। मौक़े पर सभी वक्ताओं ने आदिवासियों की जल जंगल जमीन भाषा संस्कृति को बचाने एवं समाज के उत्थान के लिए संगठित होने की बात कही। इस दौरान रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर सुंदरमोहन, सुनील हांसदा, हेंब्रम, दिकूराम मार्डी, मदिराय पुरती, लखिन्द्र गोप, रविंद्र सामड, कान्हू मुर्मू, रामरतन महतो, कुशनु बारदा, जीतराय हांसदा , कृष्णा बनरा, मारकोंडा बारी, गंगाराम कुंटिया, जयराम हंसदा, शंकर सिंहदेव, सोमय मुर्मू, जुरुंग कुंटिया, लंकेश्वर सामड सहित कई उपस्थित थे।