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दलमा इको सेंसेटिव जोन के नाम पर ग्रामीणों को डराने का काम बंद करें वन विभाग : हरेलाल महतो

 

हमने माओवादियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, अब वन विभाग के खिलाफ आंदोलन की जरूरत है : असित सिंह पात्र

इको सेंसेटिव जोन के खिलाफ चांडिल अनुमंडल कार्यालय में हरवे हथियार के साथ हजारों ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन

चांडिल:  shivnath Mahato दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी अंतर्गत चांडिल, नीमडीह, पटमदा व बोड़ाम प्रखंड क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों ने अनुमंडल कार्यालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया। दलमा आंचलिक मुक्ति संघर्ष समिति के बैनर तले हजारों की संख्या में ग्रामीण अपने हाथों में पारंपरिक हथियार लिए दलमा इको सेंसेटिव जोन के खिलाफ प्रदर्शन किया। ग्रामीण दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र से इको सेंसेटिव जोन को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। हाल के दिनों में दलमा इको सेंसेटिव जोन के दायरे में आने वाले हजारों ग्रामीणों को वन विभाग द्वारा नोटिस भेजा गया है और उनके पक्के मकान को अवैध बताया है। वन विभाग के नोटिस के कारण क्षेत्र के ग्रामीण डरे सहमे हुए हैं।


बुधवार को चांडिल अनुमंडल कार्यालय परिसर में ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव हरेलाल महतो अपने समर्थकों के साथ बढ़चढ़कर भाग लिया। विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हरेलाल महतो ने कहा कि इको सेंसेटिव जोन के नाम पर दलमा क्षेत्र के ग्रामीणों को नोटिस भेजकर डराने का प्रयास किया जा रहा है। हजारों साल से हमलोग जंगलों और पहाड़ों के बीच रहकर दलमा जंगल और जंगली जानवरों को बचाया है और आज हमें ही जंगलों से भगाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। इस तरह का अन्याय और अत्याचार हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इको सेंसेटिव जोन के नाम पर वन विभाग ग्रामीणों डराने का काम बंद करें। हरेलाल महतो ने कहा यदि भोलेभाले ग्रामीणों के साथ इस तरह से दुर्व्यवहार किया जाएगा तो आने वाले समय में जोरदार तरीके से हमलोग आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि जब दलमा क्षेत्र वन्यप्राणी आश्रयणी नहीं थी, उसके हजारों साल पहले से ग्रामीण रहते आ रहे हैं और जंगल की सुरक्षा कर रहे हैं। नए नए नियम कानून लाकर ग्रामीणों को प्रताड़ित किया जा रहा है जो सरासर अन्यायपूर्ण है।

मौके पर दलमा आंचलिक मुक्ति संघर्ष समिति के अध्यक्ष सह नीमडीह जिला परिषद सदस्य असित सिंह पात्र ने कहा कि दो दशक से दलमा क्षेत्र के ग्रामीणों ने माओवादियों के साथ संघर्ष किया, जिसके फलस्वरूप वर्तमान समय में माओवादी मुक्त क्षेत्र हुआ है। अब वन विभाग द्वारा ग्रामीणों को परेशान किया जा रहा है, अब हम सभी को एकजुट होकर वन विभाग के खिलाफ जोरदार आंदोलन खड़ा करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दलमा वन विभाग द्वारा आए दिन ग्रामीणों को किसी न किसी तरह से परेशान किया जा रहा है।

विरोध प्रदर्शन के बाद ग्रामीणों ने अनुमंडल पदाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को छह सूत्री मांगों के समर्थन में ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में इको सेंसेटिव जोन एक्ट को वापस लेने, दलमा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने, वन्यप्राणियों द्वारा फसल नष्ट करने पर अविलंब क्षतिपूर्ति देने, वन्यप्राणी द्वारा जान से मारने पर आश्रितों को सरकारी नौकरी तथा 50 लाख रुपये मुआवजा, वन भूमि पट्टा, सामुदायिक पट्टा, वनाधिकार पट्टा स्थानीय लोगों को देने तथा दलमा क्षेत्र के विकास के नाम पर चल रही योजनाओं की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की गई हैं।
इस मौके पर संचालनकर्ता बासुदेव सिंह सरदार, दिगंबर सिंह, कांचन सिंह, अजय सिंह, ग्रामप्रधान भानु सिंह, हरि सिंह, लक्ष्मण गोप, गौरी शंकर सिंह, रोहिन सिंह, महेश्वर महतो, फणीभूषन सिंह, फटिक मंडल, हरमोहन सिंह, मोटू मांझी, आस्तिक दास, राजकिशोर महतो, चंदन सिंह, रविन्द्र नाथ सिंह, हंसराज सिंह, दीनबंधु सिंह आदि मौजूद थे।

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