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जगन्नाथपुर में सात दिवसीय जन्माष्टमी पूजा सह श्री कृष्ण जन्मोत्सव 26 अगस्त से,तैयारी जोरों पर 

 

सरायकेला: सरायकेला प्रखंड के जगन्नाथपुर स्थित रांगाटांड में क्षेत्रीय गौड़ समाज के तत्वाधान में 26 अगस्त से सात दिवसीय जन्माष्टमी पूजा सह श्री कृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन किया जाएगा। क्षेत्रीय गौड़ समाज के पदाधिकारी जन्माष्टमी पूजा सह श्री कृष्ण जन्मोत्सव के सफल आयोजन को लेकर सभी तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगे है। क्षेत्रीय गौड़ समाज के पदाधिकारियों ने बताया जगन्नाथपुर में पिछले दस वर्षो से भव्य व आकर्षक पूजा पंडाल बनाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है। इस वर्ष भी आयोजन समिति ने जन्माष्टमी पूजा के लिए भव्य पूजा पंडाल बनाया जा रहा है। पंडाल में भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा के साथ देव सभा भी बनाया जाएगा। देव सभा में दर्जनों मूर्तियों के साथ श्री कृष्ण के बाल रुप के साथ रास लीला व कई कॉमेडी थीम को दिखाया जाएगा। 26 अगस्त सोमवार को शाम 6 बजे पूजा पंडाल का उद्घाटन होगा इसके पश्चात मध्यरात्रि 12 बजे भगवान श्री कृष्ण के जन्मोपरांत भगवान की पूजा अर्चना होगी। 27 अगस्त को मेला का शुभारंभ होगा। इस दिन समाज के मेधावी छात्र छात्राओं को सम्मानित किया जाएगा। 28 अगस्त को दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन होगा। क्षेत्रीय गौड़ समाज द्वारा जगन्नाथपुर में पूजा के साथ सात दिवसीय श्री कृष्ण जन्मोत्सव के तहत विशाल मेला का भी आयोजन किया गया है। मेला में मुख्य रुप से ड्रेगन झूला, इलेक्ट्रिक झूला,नाव, डिस्को झूला समेत मनोरंजन के सभी साधन व आकर्षक कॉस्मेटिक की दुकानें लगायी जाएगी जिसकी तैयारी जोरों पर है। श्री कृष्ण जन्मोत्सव के सफल आयोजन में क्षेत्रीय गौड़ समाज के अध्यक्ष नीलसेन प्रधान,सचिव नागेश्वर प्रधान,कोषाध्यक्ष राजेन्द्र प्रधान,कृष्ण कुमार प्रधान,प्रवक्ता उमाकांत प्रधान,देवीदत्त प्रधान,जगन्नाथ प्रधान,विष्णु प्रधान,हेमसागर प्रधान व पंचम प्रधान समेत समस्त समाज के लोगों का सराहनीय योगदान है।

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गौड़ जाति के अराध्य देव है भगवान श्रीकृष्ण: शम्भूनाथ

क्षेत्रीय गौड़ समाज के सलाहाकार सह शिक्षाविद् शम्भूनाथ प्रधान ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण को गौड़ जाति व समाज का आराध्य देवता माना जाता है। बताया आकाशवाणी हुई थी कि कंस को अपनी बहन देवकी के अष्टम गर्भ से जन्मे बालक के हाथों मरना होगा। कंस इसी से बचने के लिए अपनी बहन देवकी व जीजा बासुदेव को कड़ी सुरक्षा में कारा में बंद कर दिया था। बहन देवकी के अष्टम गर्भ से जब रात 12 बजे श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो कारा के सारे दरबान सो रहे थे। तभी पिता बासुदेव ने बाल कृष्ण को कंस से रक्षा करने के लिए कारा गर्भ से निकल कर घनघोर बारिश के बीच नंद गौड़ के घर जाकर अपने बच्चे कृष्ण के पालन का जिम्मा दिया तथा ठीक उसी समय पर नंद गौड़ के घर यशोदा के गर्भ से जन्मे बच्चे को कारा में लाकर देवकी के यहां रखा गया। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के गौड़ जाति के घर पर लालन पालन होने से गौड़ जाति के समस्त लोग उन्हें अपना अराध्य देव मान पूजा अर्चना करते है। जन्माष्टमी के दिन गौड़ समुदाय के समस्त लोग उपवास रखकर पूजा अर्चना करते है।

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क्षेत्रीय गौड़ समाज का पूजा कार्यक्रम

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26 अगस्त- 9 बजे से पूजा आरम्भ, मध्य रात्रि से अष्ठमी 2:27 बजे तक पूजा अर्चना

27 अगस्त- नंदोत्सव सह मेला का शुभारंभ

27 अगस्त- मेधावी छात्र छात्राओं को सम्मानित

28 अगस्त- दही हांडी प्रतियोगिता

1 सितंबर- प्रतिमा विसर्जन

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