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राजकीय सम्मान के साथ निकाला गया शहीद का शव यात्रा, सुपुर्द ए खाक किए गए शहनवाज

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में ड्यूटी के दौरान ठनका की चपेट में आने से शहीद हुए थे साहिबगंज के सपूत शहनवाज आलम

 

 

Report- Taqueer Raj

Sahebganj:- देश के लिए शहीद हुए साहिबगंज के वीर सपूत सीआरपीएफ के जवान शाहनवाज आलम का जनाजा (अंतिम शव यात्रा) पूरे राजकीय सम्मान के साथ सोमवार की सुबह उनके पैतृक आवास कुलीपाड़ा से निकाला गया। इस दौरान जनाजे में शामिल होने के लिए लोगों का जन सैलाब उमड़ पड़ा। शव यात्रा पूरे शहर में भ्रमण करने के बाद स्टेडियम के समीप स्थित कब्रिस्तान पहुंचा। जहां शहनवाज आलम के पार्थिव शरीर को सुपुर्द ए खाक किया गया। जहां लोगों ने नम आंखों से उनके कब्र पर मिट्टी देकर अंतिम विदाई दी। सुपुर्द ए खाक करने से पहले सीआरपीएफ के जवानों ने राइफल झुकाकर और तीन राउंड गोली फायर कर सलामी दी। इससे पहले डीसी हेमंत सती, एसपी अमित कुमार सिंह, सीआरपीएफ के कमांडेंट ने पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। वहीं कमांडेंट ने शहीद जवान के पिता व शहीद जवान की पत्नी को तिरंगा झंडा सौंपा। शहीद शहनवाज आलम का पार्थिव शरीर सीआरपीएफ के विशेष वाहन से रविवार की देर शाम साहिबगंज के कुलीपाड़ा मुहल्ले स्थित उनके पैतृक आवास में लाया गया था। जहां अंतिम दर्शन के लिए लोगों का जन सैलाब उमड़ पड़ा था। हर आंखें नमती और अंतिम दर्शन के लिए शहीद का चेहरा तलाश रही थी। दरअसल, झारखंड के साहिबगंज का सीआरपीएफ जवान शाहनबाज आलम छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में ड्यूटी के दौरान आकाशीय बिजली की चपेट में आने से बीते शुक्रवार की शाम शहीद हो गए थे। वे अपने बटालियन के साथ ट्रेनिंग लेने दंतेवाड़ा के घने जंगलों में गए थे। इस दौरान तेज बारिश होने लगी और ठनका गिरने से सीआरपीएफ के दो जवान इसकी चपेट में आ गए थे। दोनों को निकट के स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए ले जाया गया था, जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया था। उसमें से एक साहिबगंज का सपूत शहनवाज आलम थे। सीआरपीएफ की ओर से उसी दिन इसकी सूचना परिजनों को दी गई थी। सूचना के बाद उनके परिजनों और शुभचिंतकों में मातम पसर गया था। बाद में परिजन सब का पार्थिव शरीर रहने दंतेवाड़ा पहुंचे थे। पार्थिव शरीर को दंतेवाड़ा से पहले कोलकाता लाया गया था और फिर कोलकाता से सड़क मार्ग से सीआरपीएफ के विशेष वाहन की मदद से पार्थिव शरीर को साहिबगंज लाया गया था। शाहिद अपने पीछे 6 वर्ष का बेटा और डेढ़ साल की बेटी छोड़ गए हैं।

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