गम्हरिया प्रखंड के ग्राम चमारू में छःऊ नृत्य, पाट , चड़क पूजा एवं रजनीफुड़ा धुमधाम आज समापन हुआ।
सरायकेला : गम्हरिया प्रखंड के ग्राम चमारू में दिनांक 16 मई 2024 को धूमधाम से छःऊ नृत्य , पाट, चड़क पूजा एवं रजनीफुड़ा के साथ समापन हुआ। देर रात भक्त उपासना पूर्वक संजय नदी पहुंचे वहां स्नान कर शिव शक्ति को समर्पित यात्रा घट धार्मिक अनुष्ठान में पूजा अर्चना किये।
भोत्ताओं द्वारा झंडा एवं गरियाभार का पूजन कर जगत क्षेत्र एवं गांव की खुशहाली की कामना की। प्रभात रंजन महतो कहा कि छःऊ नृत्य चारों युगों का समावेश देखने को मिलता है , शिव शक्ति को समर्पित यात्रा घट अर्थात प्रारंभ घट , धार्मिक अनुष्ठान सत्य युग का वृतांत है , वृन्दाबनी घट त्रेता युग व गरियभार घट द्वापर युग का वृतांत है तथा कलिका घट को कामना घट भी कहा जाता है। छःऊ नृत्य शैववाद , शक्तिवाद , वैष्णव वाद में पाये गए , धार्मिक विषयों के साथ एक संरचित नृत्य के लिए लोक नृत्य के उत्सव विषयों में किया गया है। पूजा एवम् छःऊ का स्थापना स्थापना बर्ष 1806 में हुआ ।
छःऊ नृत्य को देखने के लिए आसपास के गांव , दूर दराज , झारखंड एवं उड़ीसा , बंगाल के हजारों दर्शक गण देखने पहुंचे थे। छःऊ नृत्य के प्रदर्शन को देखकर सभी श्रद्धालुओं खुशी से झूम उठे।छःऊ नृत्य में भाग लेने वाले पाटियों के नाम – जय मां मनसा आदिवासी टोला टेंटोपोसी , उस्ताद – कार्तिक त्रिपाठी , चमा सरदार , छःऊ नृत्य पार्टी काशीपुर उस्ताद – मृत्युंजय महतो। शिव शंकर छःऊ चमारू उस्ताद – खोका राम महतो।छःऊ नृत्य का नाम – नाभिक मेघदूत , महिषासुर बोध , हर पार्वती , राधा कृष्ण, पताका , रात्रि , माटीर मनुष्य , हरे विष्णु , कुसुम कली , वानविद्धा , सागर , नाभिक , मेघदूत , धीवर , उरभंग आदि।सुबह को रजनीफुड़ा एवं गदाडांग का भी आयोजन किया गया। मन व आत्मा की शांति के लिए शरीर को बेहद कष्ट देने वाली परंपरा है।
विधिवत मंत्र उच्चारण के साथ पूजा अर्चना के बाद मनोकामना पूर्ण होने पर शिव भक्त ने अपने पीठ पर लोहे के छड़ से चामडे़ में आर पार कर हट भक्ति का प्रदर्शन किये। शिव शंकर की कृपा से दर्द भी नहीं होता है,न दवाई ,न इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती है केवल पूजा वाला सिन्दूर लगा देने से घाव ठीक हो जाता है।छःऊ एवं मेला को सफल संचालन के लिए कमेटी के अध्यक्ष – प्रभात रंजन महतो , सचिव -विश्वनाथ महतो , कोषाध्यक्ष -गिरीधारी महतो , सदस्य – रिषीकेश महतो , रतीलाल महतो , उदय महतो, सूरज महतो , विकास महतो , आशीष महतो , मानसिंक मुर्मू , लाल मुर्मू , नरेश महतो , नवीन महतो , कांग्रेस महतो , बलभद्र महतो , कृष्णा महतो एवं ग्रामवासी का सहरनीय योगदान रहा।