महज 50 साल पहले हमारा फूड कल्चर बिल्कुल अलग था। हम सभी मोटे अनाज खाने वाले लोग थे। हरित क्रांति के उपरांत हम सभी ने चावल और गेहूं को इस कदर अपनाया कि हमारी थाली से मोटे अनाज गायब हो गए
महज 50 साल पहले हमारा फूड कल्चर बिल्कुल अलग था। हम सभी मोटे अनाज खाने वाले लोग थे। हरित क्रांति के उपरांत हम सभी ने चावल और गेहूं को इस कदर अपनाया कि हमारी थाली से मोटे अनाज गायब हो गए।
मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़ व झारखंड जैसे राज्यों में 50 साल पहले इसकी खेती वृहत स्तर पर की जाती थी परंतु दिन ब दिन इसकी घटती मांग से कोदो की खेती का रकबा काफी कम होता चला गया।
परन्तु हाल के दिनों में पौष्टिकता से भरपूर ज्वार, बाजरा, रागी (मडुआ), सवां, कोदों और इसी तरह के अन्य मोटे अनाजों वैश्विक बाजार में डिमांड बढ़ने लगी है। हम सभी लोगों को इन मोटे अनाजों के बारे में जन-जन तक जानकारी पहुंचानी चाहिए।
कोदो
कोदो एक मोटा अनाज है जो कम वर्षा में भी पैदा हो जाता है। नेपाल व भारत के विभिन्न भागों में इसकी खेती की जाती है। धान आदि के कारण इसकी खेती अब कम होती जा रही है।
इसका पौधा धान या बडी़ घास के आकार का होता है। इसकी फसल पहली बर्षा होते ही बो दी जाती है और भादों में तैयार हो जाती है। इसके लिये बढि़या भूमि या अधिक परिश्रम की आवश्यकता नहीं होती। अधिक पकने पर इसके दाने झड़कर खेत में गिर जाते हैं, इसलिये इसे पकने से कुछ पहले ही काटकर खलिहान में डाल देते हैं। छिलका उतरने पर इसके अंदर से एक प्रकार के गोल चावल निकलते हैं जो खाए जाते हैं।
कोदो का चावल, इसकी रोटी या इसका दाना काफी लाभदायक है। पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन की उपलब्धता वाले इस अन्न में पौष्टिकता की खान होती है। यानि यह सुपोषण के लिए सबसे बढिय़ा अन्न है। चिकित्सकों की मानें तो मधुमेह, गुर्दों व मूत्राशय के लिए कोदो की रोटी, इसके दाने का भात काफी लाभकारी माना जाता है। उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है। इसमें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मिलता है। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं।
कोदो पुराने समय से देश के विभिन्न हिस्सों में उपजाया जाता है। इसे पारंपरिक अन्न भी माना गया है। इसके दाने में 8.3 फीसद प्रोटीन, 1.4 फीसद वसा तथा 65.9 फीसद कार्बोहाइड्रेट मिलता है। कोदो-कुटकी मधुमेह नियंत्रण, गुर्दो और मूत्राशय के लिए लाभकारी है। यह रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक के प्रभावों से भी मुक्त है। कोदो-कुटकी उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए रामबाण है। इसमें चावल के मुकाबले कैल्शियम भी 12 गुना अधिक होता है। शरीर में आयरन की कमी को भी यह पूरा करता है। इसके उपयोग से कई पौष्टिक तत्वों की पूर्ति होती है।
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