भाजपा में शामिल होते ही पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने उठाया संथाल में हो रहे बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा
सरायकेला:(Ajay mahato )पिछले हफ्ते (18 अगस्त) मैंने एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी.उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा.कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही,और उन्होंने ही सन्यास लेने का विकल्प नकार दिया.
पार्टी में कोई ऐसा फोरम/मंच नहीं था,जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता तथा मुझ से सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं.आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है.इस से दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की,आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं.इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी मां ,बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है.आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया,तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा.पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है.राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा,तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा.इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है.इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में, मैने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय