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जयराम महतो आज जारी कर सकते है उम्मीदवारों की तीसरी सूची, ईचागढ़ विधानसभा पर सबकी निगाहें गोपेश महतो और तरुण महतो रेस में ! चर्चा का बाज़ार गर्म एक के पास जनता एक के पास पैसा!

रिपोर्ट- शिवनाथ महतो 

टाइगर जयराम महतो मजूदा दो बड़े दल से आगे चल रहे है। लोकसभा चुनाव में उम्मीदारों को कम समय मिलने से जो पार्टी को हानि पहुँची है उसको किसी भी हाल में जयराम दोहराना नहीं चाहते है। 

अब तक दो सूची जारी कर दी गई और और सूत्रों की माने तो आज तीसरी सूची जारी हो जाएगी जिसमे ईचागढ़ विधासभा भी शामिल होगी। 

 

ऐसे में बड़ा सवाल आखिर किसे मिलेगा ईचागढ़ से टिकट? 

 

ईचागढ़ विधानसभा में JBKSS/JLKM की पकड़ मजबूत है येदी जयराम यहाँ से सही उम्मीदवार पर दाव खेलते है तो ये सीट आसानी से जीत सकते है। ईचागढ़ में समस्या अनेक है ये छेत्र अब भी मूल भूत सुविधाओं को लेकर झूंझ रही है और मौजूदा विधायक सबिता महतो से लोग ख़ास खुश नहीं है। 

 

गोपेश महतो रेस में सबसे आगे! जाने कौन है श्री गोपेश? 

गोपेश्वर महतो कोई नाम नहीं बल्कि ईचागढ़ की उम्मीद बनकर उभर रही है बता दें गोपेश्वर महतो नीमडीह प्रखंड अंतर्गत लावा ग्राम निवासी स्वं चंद्रमोहन महतो जी के पुत्र है वर्तमान में चांडिल डैम कॉलोनी में रहते है। 

कम उम्र में इनके पिताजी का देहांत होने के कारण इनके देख रेख इनके माताजी ने ही किए है गोपेश्वर महतो सिल्ली पॉलीटेक्निक से मैकेनिकल से डिप्लोमा एवं बुंडू कॉलेज से इंग्लिश विषय पर स्नातक भी कर चुके है उसके बाद बिहार स्पंज आयरन कंपनी में कार्यरत थे। 

जब भाषा आंदोलन धनबाद में शुरू हुआ था तो उस आंदोलन को कोल्हान के धरती में लाने के लिए अहम भूमिका निभाई थे। कोल्हान का पहला आक्रोश मानव श्रृंखला चांडिल में हुई थी जिसमें इन्होंने एवं इनके पूरे टीम के नेतृत्व में हजारों की संख्या में लोग जुटे थे। उसके बाद खतियान आंदोलन में सक्रियता दिखाते हुई कंपनी से रिजाइन मार दिए एवं उसके बाद से ही लगातार ईचागढ़ विधानसभा के हर गांव गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रहे है। इनका कहना है की हम एक पूर्ण विस्थापित परिवार से ताल्लुक रखते हैं जहां हमे रहने के लिए घर नहीं है और हर राजनीतिक पार्टी के नेता लोग विस्थापितों को इस राजनीति के खेल का पुतला बनाकर हर बार चुनाव में मुद्दा बनाकर केवल और केवल गुमराह करते आए हैं साथ ही झारखण्ड अलग होने के बाद आज तक कोई स्थानीय लोग नेता नहीं बने हैं जिसके कारण आज ईचागढ़ का ये हाल है इसलिए इसे अब बदलना पड़ेगा और स्थानीय लोग को प्राथमिकता देना पड़ेगा। 

खास करके आज ईचागढ़ विधानसभा के युवा वर्ग इनके साथ है वर्तमान में सबसे ज्यादा ईचागढ़ के समस्याओं को लेकर गोपेश महतो जी ही लड़ रहे हैं। बात करे राजनीतिक अनुभव की तो इनके पास ये सब की ज्ञान एकदम नहीं था एक पढ़ा लिखा युवा अचानक जब राजनीति में आ जाए तो क्या समझेगा परंतु बीते लोकसभा चुनाव में रांची लोकसभा प्रत्याशी देवेंद्र नाथ महतो को करीब 39000 वोट दिलाने में अहम भूमिका निभाई हैं। जिससे साफ जाहिर होता है की इनके पास भले ही अनुभव नहीं है परंतु कार्य करने का तरीका सही है इनका पहुंच राजनीति के किंग मेकर *प्रशांत किशोर* के साथ भी है। वर्तमान में उनके दिशा निर्देश में कार्य करते है और आज ईचागढ़ के लोग इनके ऊपर भरोसा जाता रहे हैं चाहे मजदूर हो महिला हो छात्र हो या फिर बड़े बुजुर्ग हो हर वर्ग के लोग समस्याओं को लेकर इनके पास पहुँचते है, जिसका यथासंभव निष्पादन करते हैं। बीते 1 महीनों में ईचागढ़ विधानसभा के 4 कंपनी को अपने सामने झुकाया है और मजदूरों की मांग को कंपनी प्रबंधन को मानने में मजबूर किया है। 

 

इनके नेतृत्व में किए गए कुछ बड़े-बड़े कार्य हालांकि हर कार्य को लिखना संभव नहीं है परंतु कुछ बड़े-बड़े कार्य जिसमें हजारों लोगों को राहत मिली है।

 

1) कोल्हान में सर्वप्रथम भाषा आंदोलन में नेतृत्व। 

2) विस्थापित आंदोलन में नेतृत्व 

3) झारखंड राज्य से बाहर उड़ीसा जाकर 25 लाख का मुआवजा दिलवाने में नेतृत्व ।

4) कोहिनूर स्टील प्लांट में 15 लाख का मुआवजा दिलवाने में नेतृत्व ।

5) दुध कंपनी में मजदूरों को उचित न्याय दिलवाने में नेतृत्व ।

6) नर्सिंग इस्पात में 12.5 लाख का मुआवजा दिलवाने में नेतृत्व।

7) पत्ता फैक्ट्री मानिकुई में मजदूरों को उचित न्याय दिलवाने में नेतृत्व ।

8) पंजाब नेशनल बैंक में बैंक द्वारा ठगी 7 लाख वापस करवाने में नेतृत्व ।

9) करण हत्याकांड मामला में दोषियों को सजा दिलवाने में नेतृत्व।

10) NH 33 कंदरबेड़ा में रैयती उनका ज़मीन वापस दिलवाने में नेतृत्व ।

11) लावा गोल्ड माइंस के मजदूरों को उचित न्याय दिलवाने में नेतृत्व ।

12) सारदा एक्सेल कंपनी के मजदूरों को उचित न्याय दिलवाने में नेतृत्व ।

13) मिलनचौक एक्सीडेंट मामला में रात भर लड़े जिसके बाद केस दर्ज ।

14) कपाली नगर निगम में पुलिया का निर्माण करवाने में अहम भूमिका ।

15) 60_40 आंदोलन में 2 दिन शांतिपूर्ण तरीके से NH32 को जाम करवाने में नेतृत्व।

 

और भी बहुत सारे छोटे छोटे कार्य इन्होंने किए है जैसे बिजली की समस्या , क्षेत्र में हाथी के आतंक को देखते हुए फटाखा एवं ट्रॉच का वितरण लोगों के हर छोटे छोटे समस्याओं में पहुंचते है।  

 

 

तरुण महतो भी हैं रेस में? 

 

ईचागढ़ में बीते कई महीनों से एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे तरुण महतो भी टिकट की जुगत में लगे है। छेत्र में इनकी पकड़ भी अच्छी है लेकिन कुछ पैमाने पर ये पीछे छूट रहे है जयराम अब सेफ सीट पर तरुण को टिकट देकर रिस्क लेना चाहेंगे या नहीं ये उनके अपर निर्भर करता है। 

 

लोकसभा चुनाव के दौरों में नदारद रहे तरुण महतो 

 

बता दे कि ईचागढ़ विधानसभा रांची लोकसभा के अंतर्गत आती है जिसके प्रत्याशी देवेंद्र नाथ महतो थे। ईचागड़ में जयराम की अच्छी खासी लोकप्रियता है लेकिन कई जगहों में जनजागरण नहीं हो पाने से पार्टी को नुशान पहुंचा। समय कम और छेत्र बड़ा गोपेश महतो ने पूरी निष्ठा पूर्वक अपने कर्तव्य निभाया और तुफानी दौरे किए तत्पश्चात कई गाँव छूट गए उस वक्त तरुण महतो जयराम महतो के साथ गिरीडीह में थे और उनके दौरे में काफिला का हिस्सा बन रहे थे। सूत्रों की माने माने तो इस कारण जयराम महतो ने कई दिनों तक तरुण से दुराइयाँ भी बनाई थी। 

वंही तरुण महतो वंहा के स्थान्य निवासी नहीं है उनका घर आदित्यपुर में स्थित है तो एसे में उनके लिए 24 घंटा जनताओं का समस्या के लिए उपलब्ध रहना कठिन है। छेत्र में ये भी चर्चा है की तरुण महतो को ही टिकट मिलेगा क्यों उनके पास धन बल है विधायक ना होते हुए भी विधायकों वाली गाड़ी में सवार होते है और आगे पीछे लंबा काफिला चलता है। 

 

अब ये तो जयराम पर निर्भर करता है की व अपने राजनीति और पार्टी को किस और मोड़ते है। फ़िलहाल कुछ समय का इंतेज़ार करते है नाम सामने होगा और जयराम की विचारधारा पर उठ रहे सवाल शांत होगी या गूंज भरेगी इसका फ़ैसला भी हो जाएगा।

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